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राजकीय अस्पतालों में मरीजों के पर्चे पर ब्रांडेड कंपनियों की महंगी दवाइयां लिखने पर सरकार सख्त है। स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत भी कई बार कह चुके है की कोई भी सरकारी अस्पताल का डॉक्टर बाहर की दवाइयां नहीं लिखेगा मगर अस्पतालों में इसके उलट मामला देखने को मिलता ही रहता है…. जहां अस्पताल के डॉक्टर मरीज को बाहर की दवाइयां लिखते हैं बाहर की दवाइयां लिखने के कारण मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कम कीमत पर अपना ईलाज करवाने आए मरीज़ों को अक्सर अस्पताल परिसर के बाहर किसी केमिस्ट से दवाई लेने का पर्चा थमा दिया जाता है। जिसके चलते मरीज़ों को मजबूरन महंगे रेट पर दवाइयाँ खरीदनी पड़ती है। अब मरीजों के पर्चे में बाहर की दवाइयां लिखने वाले डॉक्टर पर सख्त कार्रवाई हो सकती है….सचिव स्वास्थ्य का कहना है की स्पष्ट तौर पर सभी सीएमओ को निर्देशित किया गया है की पर्ची मे जेनरिक दवाइयाँ ही लिखी जाए….अगर निर्देशों का पालन नही किया जाता है तो कठोर से कठोर कार्यवाई की जायेगी, जहाँ पर निर्देशों का पालन नही हो रहा है वहां पर करवाई की जा रही है।

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