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आज किसान स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा है, क्योकि दैवीय आपदा में धान, गन्ना और चरी की फसलों में हुये भारी नुकसान के बावजूद सरकार ने केवल 1100 रूपया प्रति बीघा की आर्थिक मदद कुछ ही किसानों को की है। तभी से किसान निरंतर इस आर्थिक सहायता राशि को बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं । प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता श्रीगोपाल नारसन ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत किसानों को दी जाने वाली इस आर्थिक सहायता राशि को बढ़ाये जाने के पक्षधर है।हरीश रावत का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी के दामों को देखते हुये गन्ने का खरीद मूल्य सवा चार सौ रुपया प्रति कुंतल से ऊपर होना चाहिए। इकबालपुर चीनी मिल के किसानों का आज भी चीनी मिल पर सौ करोड़ रुपये के लगभग बकाया है, उसका भुगतान बार-बार आवाज उठाने के बावजूद भी सरकार ने प्रारंभ नहीं किया है। इधर खाद नहीं मिल रही है और भी बहुत सारी कठिनाइयां किसानों को उठानी पड़ रही हैं। हरीश रावत ने इन्ही मुद्दों को लेकर किसान सम्मान यात्रा निकाली थी और यह कहा था कि लक्सर, भगवानपुर, डोईवाला, छिद्दरवाला में भी इसी तरीके कीकिसान सम्मान यात्राएं निकाली जाएंगी।लेकिन दुर्भाग्य से 24 अक्टूबर को हरीश रावत दुर्घटनाग्रस्त हो गए और वे अब भी ज्यादा संघर्ष करने की स्थिति में नहीं है। फिर भी किसानों की उपेक्षा न हो ,सरकार के दरवाजे खट-खटाये जाएं, इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहले एक घंटे का मौन उपवास अपने आवास पर रखा था और अब हरीश रावत 7 दिसंबर, 2023 को गांधी पार्क देहरादून में प्रातः 11 बजे से एक दिन का उपवास रखेंगे जिसमें 1 घंटे का मौन व्रत होगा और गांधी जी के भजन, रघुपति राघव राजा राम के साथ उपवास की समाप्ति होगी।

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