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मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता

अब इससे ज्यादा मैं तेरा हो नहीं सकता

और जज्बात का समंदर , दिल और जमीर को जगाने वाली शायरी और अल्फाजों के समेट कर जज्बातों से अपना बना लेने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। 71 साल की उम्र में उन्होंने आज आखिरी सांस लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई अस्पताल में ली। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे। उनके इंतकाल से साहित्यिक और शायरी के मआसरे में गम का माहौल है और हर कोई खुद को गमगीन महसूस कर रहा है।

मनव्वर राणा उर्दू शायरी के मशहूर और मारूफ शायर थे उन्होंने कई किताबे और मशहूर कलाम लिखे है उनको सुनने और पढ़ने वालों को एक बड़ी जमात है। मनव्वर राणा संजीदा शायरी में महारत रखते थे। राहत इंदौरी के बाद उन्हें बेबाक शायरी के लिए जाना जाता था।

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