उत्तराखंड में हरिद्वार जिले की मंगलौर विधानसभा सीट से बीएसपी विधायक सरवत करीम अंसारी का आज सुबह निधन हो गया है। अंसारी को 2 दिन पहले दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उन्हें दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज सुबह उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली।
सरवत करीम अंसारी ने 2022 चुनाव में कांग्रेस नेता काजी निजामुद्दीन को हराया था।उससे पहले 2012 से 2017 के बीच भी सरवत करीम अंसारी बसपा से ही विधायक रहे थे। कांग्रेस सरकार में समर्थन के कारण उन्हें मंत्री का दर्जा भी मिला था। सरवत करीम अंसारी को उत्तराखंड आवास विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया गया था । सरवत करीम अंसारी दो बार बसपा से विधायक रहे है साथ ही दो बार वक्फ बोर्ड के सदस्य भी नियुक्त किए गए। इतना ही नहीं उत्तराखंड विधान सभा में उन्हे 2012 में लोक लेखा समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया था। उनका शुरुवाती राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू हुआ था उनके पिता अब्दुल हफीज भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंगलौर नगर पालिका के चैयरमेन रहे है। लेकिन मंगलौर विधान सभा से कांग्रेस से वह कभी जीत हासिल नहीं कर पाए जिसके कारण 2012 में वह बीएसपी में शामिल हो गए थे और पहली बार विधायक चुने गए थे।
उनके निधन से पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उनके निधन पर शोक जताया और इसे पार्टी की एक बड़ी हानि बताया है। बसपा के उत्तराखंड में दो विधायक थे लेकिन अब सरवत करीम अंसारी के निधन से बसपा के एक ही विधायक रह गए है।
सरवत करीम अंसारी का जीवन परिचय
सरवत करीम अंसारी का नाता एक मजबूत राजनीतिक परिवार से रहा है उनके पिता और ताऊ जी भी नेता रहे है और कई बार विधायक रह चुके है साथ ही उनके दादा ने आजादी की लड़ाई में भी शिरकत की थी। सरवत करीम अंसारी अपने पीछे अपनी पत्नी और 4 बच्चे जिनमे तीन पुत्र मुहम्मद जुनैद मुहम्मद उबैदुर रहमान मुहम्मद आमिर और 1 पुत्री नबीला अंजुम को छोड़ गए है।